बीजेपी ने चला ‘परिवारवाद’ का पत्ता, चार पूर्व CM के बेटे-बहू और पत्नी को मिला टिकट
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस बार अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव में मजबूती से उतरने की तैयारी की है। पार्टी ने 81 में से 68 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया है, जबकि आजसू पार्टी को 10 सीटें, जेडीयू को 2 सीटें और लोजपा-आर को 1 सीट दी गई हैं। इस चुनावी रणनीति की खास बात यह है कि बीजेपी ने चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिजनों को भी टिकट दिया है, जिससे ‘परिवारवाद’ की राजनीति का पत्ता चलते हुए देखा जा रहा है।
चंपाई सोरेन, बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, और रघुवर दास के परिजन मैदान में
बीजेपी की पहली सूची में 66 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान हुआ है। खास बात यह है कि चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे, बहू और पत्नी को टिकट मिला है। इसमें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन अपने बेटे बाबूलाल सोरेन के लिए घाटशिला से टिकट पाने में सफल रहे हैं। चंपाई सोरेन खुद सरायकेला से चुनाव लड़ेंगे, जहां से वह पहले भी सात बार जीत चुके हैं।
इसी तरह, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी एक बार फिर धनवार सीट से चुनाव लड़ेंगे। वहीं, अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को पोटका विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। अर्जुन मुंडा पहले खरसावां सीट से विधायक रह चुके हैं, लेकिन इस बार उनकी पत्नी को चुनावी मैदान में उतारा गया है। ओडिशा के राज्यपाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास को जमशेदपुर पूर्वी सीट से टिकट दिया गया है, जो पहले रघुवर दास की परंपरागत सीट रही है।
हेमंत सोरेन के खिलाफ बरहेट से प्रत्याशी का ऐलान नहीं
बीजेपी ने बरहेट और टुंडी सीट पर अभी तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। बरहेट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दो बार जीत हासिल कर चुके हैं, और इस बार भी उनके नामांकन का संकेत मिल चुका है। इसलिए इस सीट पर बीजेपी खास रणनीति बना रही है। वहीं, टुंडी सीट पर आजसू पार्टी के सुदेश महतो की दावेदारी है, जो इस बार सिल्ली के साथ टुंडी से भी चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं।
परिवारवाद के साथ सामाजिक संतुलन भी साधा
बीजेपी ने इस बार अपने उम्मीदवारों की सूची में सामाजिक संतुलन को भी ध्यान में रखा है। 66 उम्मीदवारों में 24 आदिवासी, 19 अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), और 7 अनुसूचित जाति के उम्मीदवार शामिल हैं। इसके अलावा, उच्च जाति के 16 उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा गया है। बीजेपी ने आदिवासी आरक्षित लोहरदगा और मनोहरपुर सीट आजसू पार्टी को दी है, जबकि तमाड़ सीट जेडीयू के लिए छोड़ी गई है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जुगसलाई सीट आजसू और चतरा सीट लोजपा-आर को दी गई है।
अंतिम क्षणों में हो सकती है सीटों की अदला-बदली
बीजेपी के चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने इशारा दिया है कि नामांकन वापसी की आखिरी तारीख तक कुछ सीटों पर सहयोगी दलों के साथ सीटों की अदला-बदली हो सकती है। इससे यह साफ होता है कि बीजेपी अभी भी अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ मिलकर सीटों के बंटवारे पर विचार कर रही है, जिससे गठबंधन की मजबूती बनी रहे।
तीन विधायकों का टिकट कटा, नए चेहरों को मौका
बीजेपी ने इस बार तीन मौजूदा विधायकों का टिकट काटा है। सिमरिया से कामेश्वर दास की जगह उज्जवल दास, जमुआ से केदार हाजरा की जगह डॉ. मंजू देवी, और कांके से समरी लाल की जगह पूर्व विधायक डॉ. जीतू चरण दास को उम्मीदवार बनाया गया है। इसके अलावा, बाघमारा सीट से ढुल्लू महतो की जगह उनके भाई शत्रुघ्न महतो को टिकट दिया गया है।
निष्कर्ष
इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी की रणनीति स्पष्ट रूप से पारिवारिक और राजनीतिक संतुलन साधने वाली है। चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिजनों को टिकट देकर बीजेपी ने जहां एक तरफ परिवारवाद का पत्ता चला है, वहीं सामाजिक संतुलन बनाकर आदिवासी, ओबीसी, और अनुसूचित जाति के प्रतिनिधित्व को भी सुनिश्चित किया है। पार्टी की यह रणनीति आगामी चुनावों में कितना कारगर साबित होती है, यह देखना दिलचस्प होगा।